प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्धघाटन किया। इससे पहले उन्होंने कैंपस में मौजूद खंडहरों का निरीक्षण किया। नया परिसर नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन खंडहरों के पास है, जिसे नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के माध्यम से स्थापित किया गया था।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस के निर्माण में सहयोग करने वाले सभी देशों का शुक्रियादा किया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि नालंदा सिर्फ भारत का पुनर्जागरण नहीं है, इससे कई देशों की विरासत जुड़ी हुई है। नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण में साथी देशों की भागीदारी भी रही है।
दरअसल, 2007 में हुए पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने पर चर्चा उठी थी। इसके बाद भारत की तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2010 में नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम पारित कराया। 2014 में केंद्र में एनडीए सरकार बनने के बाद तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 19 सितंबर 2014 को नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस की नींव रखी। लगभग 9 साल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार 19 जून 2024 को इस कैंपस का लोकार्पण किया।

कितना विशाल था कैंपस
इस विश्वविद्यालय की भव्यता इतनी थी कि यहां 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और पढ़ाई के लिए 9 मंजिला एक लाइब्रेरी थी. साथ ही यह कई एकड़ में फैला हुआ था. यहां हर सब्जेक्ट के गहन अध्ययन के लिए बनाई गई थी 9 मंजिला लाइब्रेरी, जिसमें 90 लाख से ज्यादा किताबें रखी हुई थी. बताया जाता है कि जब इसमें आग लगाई गई तो इसकी लाइब्रेरी 3 महीने तक जलती रही, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसमें कितनी किताबें रही होंगी. इस विश्वविद्यालय की कहानी बताती है कि भारत का ज्ञान सदियों से दुनिया को रोशन कर रहा है. इसके अलावा कुछ रिकॉर्ड्स अल चीं नू की ओर से पहले हमला होने की बात कही थी.
नालंदा विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों का केंद्र है
नालंदा विश्वविद्यालय को ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, चीन, इंडोनेशिया और थाईलैंड सहित 17 अन्य देशों का समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करता है। 2022-24 और 2023-25 के लिए स्नातकोत्तर कार्यक्रमों और 2023-27 के पीएचडी कार्यक्रम में नामांकित अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में अर्जेंटीना, बांग्लादेश, कंबोडिया, घाना, केन्या, नेपाल, नाइजीरिया, श्रीलंका, अमेरिका और जिम्बाब्वे के छात्र शामिल हैं।