प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपुलिया में आयोजित ग्रुप ऑफ सेवन (जी-7) शिखर सम्मेलन में भाग लेने इटली पहुंच गए हैं. अपुलिया के ब्रिंडिसि हवाई अड्डे पर इटली में भारत के राजदूत वाणी राव और अन्य अधिकारियों ने पीएम मोदी का स्वागत किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इटली पहुंचा. विश्व नेताओं के साथ सार्थक चर्चा में शामिल होने के लिए उत्सुक हूं. साथ मिलकर, हमारा लक्ष्य वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना और उज्जवल भविष्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है.

जी-7 प्रमुख औद्योगिक देशों का एक समूह है. इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, जापान, इटली और जर्मनी शामिल हैं. 25 मार्च 1973 को इस संगठन की शुरुआत हुई थी. जी-7 कभी जी-6 तो कभी जी-8 भी हुआ करता था. शुरुआत में रूस भी इस संगठन का हिस्सा था लेकिन बाद में कुछ मतभेदों के बाद रूस को इस समूह से निकाल दिया गया. रूस के साथ रहने पर इस समूह में 8 सदस्य देश थे और इसे जी-8 कहा जाता था.
यह संगठन मानवीय मूल्यों की रक्षा, लोकतंत्र की रक्षा, मानवाधिकारों की रक्षा, अंतरराष्ट्रीय शांति का समर्थक, समृद्धि और सतत विकास के सिद्धांत पर चलता है. इसके साथ ही यह समूह खुद को कम्यूनिटी ऑफ वैल्यूज का आदर करने वाला समूह मानता है. जी-7 का किसी भी देश में मुख्यालय नहीं है. इस समूह में शामिल देश बारी-बारी से शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते हैं. जिस देश के पास इसकी मेजबानी होती है, उसे ही इस ग्रुप का अध्यक्ष कहा जाता है. इस ग्रुप की स्थापना तेल संकट से उबरने के लिए की गई थी. जी-7 सदस्य देश वर्तमान में ग्लोबल जीडीपी का लगभग 45% और दुनिया की 10% से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं.
किन- किन मुद्दों पर होगी चर्चा
G7 की 50वीं समिट में जलवायु परिवर्तन, मध्य-पूर्व और इजराइल-गाजा के बीच हो रहे संघर्ष पर चर्चा होगी. यूक्रेन के राष्ट्रपति भी यूक्रेन-रूस युद्ध से संबंधित दो सेशंस में भाग लेंगे. 14 जून को AI, माइग्रेशन और ऊर्जा पर बात होगी. इसके बाद 15 जून को इटली एक प्रेस- वार्ता करेगा. G-7 के शिखर सम्मेलन में किन मुद्दों पर चर्चा हुई और उसका क्या हल निकाला गया, इसकी जानकारी आयोजन के खत्म होने के बाद जारी की जाती है. चूकी जी-7 कोई औपचारिक संगठन नहीं है. इसमें जिन मुद्दों पर सहमति बनती है, सदस्य देश उन्हें मानने के लिए बाध्य नहीं होते. ये उनके देश के कानून और उनकी निजी पसंद पर निर्भर करता है.