पृथ्वी पर डायनासोर के खात्मे वाले महाविनाश पर बहुत से अध्ययन हुए हैं. इनमें इस महाविनाश के कारण और डायनासोर के खात्मे की प्रमुख वजहें अध्ययन का ज्यादा केंद्र रही हैं. लेकिन नए अध्ययन में पाया गया है कि इस महाविनाश के संकेत पहले से ही दिखाई देने लगे थे यहां तक कि ये संकेत क्षुद्रग्रह के टकराव से पहले ही इनका तैयार होना शुरू हो गया था. अध्ययन में इसकी विसेष तौर पर पड़ताल की गई कि अगर क्षुद्रग्रह का टकराव नहीं होता, तो क्या तब भी डायनासोर का महाविनाश तय था या उस दौर के बाद भी डायनासोर लंबे समय तक जिंदा रह जाते.
ये डायनासोर 6.6 लाख साल पहले धरती से विलुप्त हो गए थे। शोधकर्ताओं ने अपने अनुमान में पाया कि पृथ्वी पर इन डायनासोर की कुल आबादी 250 करोड़ थी। इसमें हर समय करीब 20 हजार वयस्क जिंदा रहते थे। वर्ष 1905 में पहली बार जीवाश्म मिलने के बाद अब तक इस तरह के 40 डायनासोर के जीवाश्म मिल चुके हैं। इन जीवाश्मों से वैज्ञानिकों को डायनासोर की इस प्रजाति के बारे में काफी सूचनाएं हाथ लगी हैं।
अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम के नए विश्लेषण में उन्होंने इस दावे के समर्थन में प्रमाण हासिल किए हैं कि क्षुद्रग्रह के टकारव के पहले कोई बहुत अच्छे हालात नहीं था क्योंकि तब वायुमंडल में सल्फर की मात्रा पहले ही नाजुक स्तर पर पहुंच चुकी थी. अन्य शोधों के साथ, जिनमें पारे के स्तर का अध्ययन हुआ था, इस अध्ययन में ज्वालामुखी गतिविधियों के ऐसे संकेत मिलने की बात पाई गई थी.
शोध में कहा गया है कि हर 100 वर्ग किलोमीटर में एक डायनासोर मौजूद रहता था। Tyrannosaurus ( टायरानोसॉरस ) के जीवाश्म कनाडा के अल्ब्रेटा और अन्य प्रांतों में भी पाए गए हैं। वहीं अमेरिका में इनके अवशेष मोंटाना, साउथ डकोटा, नॉर्थ डकोटा, यूटा, कोलोराडो, न्यू मैक्सिको और टेक्सास में पाए गए हैं। जीवाश्म विशेषज्ञ अश्ले पोउस्ट ने कहा कि 250 करोड़ या ढाई अरब की संख्या काफी अधिक होती है लेकिन पृथ्वी पर मौजूद वर्तमान मानवीय जनसंख्या का केवल एक तिहाई थे। इन डायनासोर को मादा के साथ संबंध बनाने के लिए बहुत लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी।