जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने रविवार को देश के 30वें थल सेनाध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया। उन्होंने जनरल मनोज पांडे का स्थान लिया है, जो सेवानिवृत्त हो गए हैं। यह एक अनोखा संयोग है कि जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सैनिक स्कूल में सहपाठी रह चुके हैं। सेना के इतिहास में यह पहला मौका है जब दो सहपाठी एक साथ थल और नौसेना को नेतृत्व प्रदान करेंगे। त्रिपाठी इसी साल अप्रैल में नौसेना प्रमुख बने थे।
जनरल द्विवेदी सीमा विवाद को हल करने में चीन के साथ जारी वार्ता में सक्रिय रूप से शामिल रहे
अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी सेना के कमांडर के तौर पर जनरल द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों के संचालन के अलावा, उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर अभियान के संचालन की योजना और कार्यान्वयन के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन और परिचालन संबंधी अंतर्दृष्टि प्रदान की है.
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उन्होंने बताया कि इस दौरान जनरल द्विवेदी सीमा विवाद को हल करने में चीन के साथ जारी वार्ता में सक्रिय रूप से शामिल रहे. वह भारतीय सेना की सबसे बड़ी सैन्य कमान के आधुनिकीकरण में भी शामिल रहे. उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियारों को अपनाने के अभियान का नेतृत्व किया.
लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर अग्रणी रहे हैं. उन्होंने सेना की नॉर्दर्न कमांड में तकनीक को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इसके साथ ही नए सेनाध्यक्ष आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, बिग डेटा एनालिटिक्स, क्वांटम जैसी आधुनिकतम तकनीक के इस्तेमाल की दिशा में भी काम करते रहे हैं. वह सोमालिया में रहे और सेशेल्स सरकार के सैन्य सलाहकार के रूप में काम किया.
आधुनिक प्रौद्योगिकियों के गहरे जानकार
सेना ने कहा कि जनरल द्विवेदी के पास अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए प्रभावी योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने का व्यापक अनुभव तथा शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है। उन्हें सुरक्षा क्षेत्र में आधुनिक और उभरती प्रौद्योगिकियों की गहरी समझ है। उनके पास अभियानों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए सैन्य प्रणालियों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग और एकीकरण करने के लिए एक विचारशील दृष्टिकोण है।
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यह दृष्टिकोण भारतीय सेना द्वारा आत्मनिर्भरता के माध्यम से अपने आधुनिकीकरण और क्षमता विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी प्रयास के अनुरूप है। सेना ने कहा कि जनरल द्विवेदी विश्वास की संस्कृति को बढ़ावा देने, कनिष्ठ अधिकारियों के सशक्तीकरण, सैन्यकर्मियों के कल्याण और सेवानिवृत्त अधिकारियों तथा वीर नारियों के कल्याण पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे।