सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ियां यात्रा मार्ग पर स्थित होटल और रेस्टोरेंट को मालिकों के नाम लिखने के लिए कहने वाले सरकारी निर्देश पर रोक लगा दी है और कांवड़ियां यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिकों के नाम लिखने के लिए कहने वाले उनके निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने उनसे जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई 26 जुलाई को तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खाद्य विक्रेताओं को मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
जस्टिस भट्टी ने कहा, केरल के एक शहर में 2 प्रसिद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट हैं. एक हिंदू का और एक मुस्लिम का. मैं व्यक्तिगत रूप से मुस्लिम के रेस्टोरेंट में जाना पसंद करता था क्योंकि वहां सफाई अधिक नजर आती थी. इस पर सिंघवी ने कहा, खाद्य सुरक्षा कानून भी सिर्फ शाकाहारी-मांसाहारी और कैलोरी लिखने की बात कहता है. निर्माता कंपनी के मालिक का नाम लिखने की नहीं. सिंघवी ने कहा, 6 अगस्त को कांवड़ यात्रा खत्म हो जाएगी. इसलिए इन आदेशों का एक भी दिन जारी रहना गलत है.
जज ने कहा, हमने याचिकाकर्ताओं की तरफ से सभी वरिष्ठ वकीलों को सुना. उन्होंने 17 जुलाई के मुजफ्फरनगर पुलिस के निर्देश को चुनौती दी है. इसके बाद हुई पुलिस कार्रवाई का भी विरोध किया है. जज ने कहा, इस निर्देश के चलते विवाद हुआ है. हमने हिंदी में जारी निर्देश और उसके अंग्रेजी अनुवाद को देखा. इसमें लिखा है कि पवित्र सावन महीने में गंगाजल लाने वाले कांवड़िया कुछ प्रकार के खानों से दूर रहना चाहते हैं. कई लोग प्याज-लहसुन भी नहीं खाते. जज ने कहा, दुकानदारों को अपना और कर्मचारियों का नाम लिखने को कहा गया है. याचिकाकर्ता इसे धार्मिक आधार पर भेदभाव भरा और छुआछूत को बढ़ावा देने वाला बता रहे हैं. उनका कहना है कि सिर्फ शाकाहारी और शुद्ध शाकाहारी लिखना पर्याप्त है.