जाने कौन है स्वयंभू बाबा भोले नाथ उर्फ़ नारायण हरि साकार! 1990 में पहली बार सत्संग का रहस्य

हाथरस में जिस ‘भोले बाबा’ के कार्यक्रम में 121 लोगों ने भगदड़ में जान गंवा दी, उस भोले बाबा के देश में कई आश्रम हैं. स्वयंभू बाबा भोले नाथ उर्फ़ नारायण हरि साकार उर्फ़ सूरजपाल का मैनपुरी, कानपुर, नोएडा और ग्वालियर में आश्रम हैं. इन आश्रमों में रहने वाले बाबा को इंसान नहीं बल्कि परमात्मा मानते हैं.

जाने कौन है स्वयंभू बाबा भोले नाथ उर्फ़ नारायण हरि साकार! 1990 में पहली बार सत्संग का रहस्य

सूरजपाल उर्फ़ बाबा भोले ने अपना कथित आध्यात्मिक सफर आगरा से ही शुरू किया था

सूरजपाल ने अपना कथित आध्यात्मिक सफर आगरा से ही शुरू किया था। 1990 के दशक में वह SPR कार्यालय, आगरा में सिपाही थे। उनके साथ काम करने वाले पूर्व कर्मचारी ने बताया कि सूरजपाल अलग-अलग सत्संग में जाने लगे। एक दिन अपने वालंटियर बना लिए। इसके वाद सत्संग शुरू कर दिया। छोटे से बड़े पंडाल बनने लगे। गली-मोहल्ले के बाद गांव-गांव में अनुयायी बन गए। इनमें दलित वर्ग के लोगों की संख्या अधिक होती थी। कोई बीमारी से ठीक होने के लिए प्रार्थना करता तो कोई काम धंधे चलाने के लिए गुहार लगाता था। अनुयायी बढ़े तो सूरजपाल ने अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। देखते ही देखते बाबा ने वंचितों के मसीहा के रूप में अपना स्थान बना लिया।

आयोजक के तौर पर मधुकर द्वारा इस घटना की जवाबदेही से बचने पर विकास ने सवाल उठाया कि क्या पुलिस और सरकारी अधिकारियों की यह जिम्मेदारी नहीं है कि वे जिला प्रशासन को 80,000 की अनुमत सीमा से अधिक भीड़ के आकार के बारे में सूचित करें. उसने यह भी दावा किया कि आयोजन स्थल पर एम्बुलेंस की कमी थी और सिकंदरा राऊ में निकटतम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की भी कमी थी.

महिला पड़ोसी ने कही ये बात

मधुकर के घर के बाहर 70 वर्षीय सरला देवी भी खड़ी थीं, जो अपने पड़ोस के कई लोगों के साथ ‘सत्संग’ में शामिल होने गई थीं और बिना किसी चोट के वापस लौट आई. सरला ने कहा कि अगर उनकी शिक्षाएं हमारी मदद नहीं कर रही हैं तो हम क्यों जाएं? जब इस पर पूछा गया कि क्या बाबा भोले के सत्संग से उनकी जिंदगी बेहतर हुई है, तो उन्होंने कहा कि बाबा भोलेअच्छे कर्म करने की बात करते हैं, जैसे कि दूसरों के साथ मिलजुलकर रहना और सद्भावना से रहना. मुझे उनकी शिक्षाओं से लाभ हुआ है

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आईजी शलभ माथुर ने बताया कि सेवादारों ने बताया कि भगदड़ मचते ही सभी को भागने के लिए कहा गया था। काफी देर तक पैदल गए और बाद में बस पकड़कर निकल गए। जब उन्हें पता चला कि मरने वालों की संख्या बढ़ गई तो सभी भूमिगत हो गए। पुलिस पूछताछ में कई महिलाओं ने यह भी बयान दिया है कि जिनकी तबीयत भीड़ में खराब हो रही थी और सेवादार उन सभी से कह रहे थे कि बाबा का नाम पुकारो सब ठीक हो जाएगा। बाबा भोले

इस बीच हाथरस पुलिस ने देवप्रकाश मधुकर की गिरफ्तारी के लिए एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया है और कहा कि वह उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट प्राप्त करने की कोशिश कर रही है. फिलहाल, पुलिस ने गुरुवार को आयोजन समिति के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है. वहीं, हाथरस हादसे की शुरुआती SIT जांच रिपोर्ट सौंप दी गई है. बाबा भोले

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