अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और अगर कोई लोगों को ऐसा करने से रोकता है तो इसके उसे गंभीर परिणाम होंगे, दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को यह टिप्पणी की। कोर्ट ऐसा इसलिए कहा क्योंकि आम आदमी पार्टी (आप) के लीगल सेल ने जिला और हाईकोर्ट परिसर में केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। इसके खिलाफ दाखिल एक वकील की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की।
उन्होंने कहा, “कल शाम मैंने अरविंद जी से जेल में मुलाकात की। दो दिन पहले उन्होंने दिल्ली की जल मंत्री आतिशी को संदेश भेजा था कि पानी और सीवर की समस्याओं का समाधान होना चाहिए। इस बात पर केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री पर केस कर दिया, क्या वे दिल्ली को तबाह करना चाहते हैं? रविंद जी ने मुझसे कहा इस शराब घोटाले की जांच में ED ने पिछले दो साल में 250 से ज़्यादा छापेमारी की अभी तक किसी भी छापेमारी में पैसा बरामद नहीं हुए।
वकील वैभव सिंह ने अपनी याचिका में अदालत परिसर में आप के राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन के अवैध आह्वान पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। सिंह ने कहा कि कोई भी अदालत परिसर में विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकता। अपनी याचिका में सिंह ने कहा था कि आजकल राजनीतिक दलों के लिए हड़ताल, विरोध के आह्वान के लिए कानूनी सेल के सदस्यों को शामिल करना एक चलन बन गया है। बता दें कि आप के लीगल सेल ने सीएम अरविंद केजरीवाल की ईडी द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ 27 मार्च को दिल्ली की सभी जिला अदालतों में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।
कोर्ट में जिरह करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, पीएमएलए सेक्शन 50 का पालन नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट का अरनेश कुमार फैसला जांच के दौरान बिना उचित कारण गिरफ्तारी से मना करता है. मैं समझता हूं कि यह सिद्धांत एक मौजूदा सीएम के लिए 10 हजार गुना ज्यादा लागू होता है. प्रोसिड्स ऑफ क्राइम पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. बिना बयान दर्ज किए गिरफ्तारी हो गई. एक मौजूदा सीएम की गिरफ्तारी चुनाव को प्रभावित करने के लिए की गई है. इस तरह लोकतंत्र को चोट पहुंचाई जा रही है