कुवैत में भीषण आग में जिंदा जल गए 42 भारतीय, पीएम मोदी ने जताया शोक, 2 लाख की सहायता राशि का ऐलान

कुवैत की एक इमारत में लगी आग में 42 भारतीयों की मौत हो गई है। यह हादसा इतना भीषण था कि बहुमंजिला इमारत में लोग सोते ही रहे और जिंदा जल गए। बुधवार को तड़के 4 बजे हुए इस हादसे में बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। इस हादसे के चलते भारत में भी केरल, आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों में कोहराम मचा हुआ है, जहां के ये लोग रहने वाले थे। फिलहाल भारत सरकार ने हालात का जायजा लेने और मदद के लिए विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह को भेजा है। उनका कहना है कि एयरफोर्स के प्लेन अग्निकांड में मारे गए लोगों के शवों को लाने के लिए तैयार हैं।

इस इमारत में करीब 200 लोग रह रहे थे। 6 मंजिला इमारत की एक किचन में आग लगी थी और धीरे- धीरे इसने बड़े हिस्से को चपेट में ले लिया। कुछ लोग तो सीधे तौर पर आग की चपेट में आए तो वहीं कई लोगों की धुंए के चलते दम घुटने से मौत हो गई।

पीएम मोदी का कहना है कि कुवैत शहर में आग लगने की दुर्घटना दुःखद है. मेरी संवेदनाएं उन सभी लोगों के साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है. मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल लोग जल्द से जल्द ठीक हो जाएं. मृतकों के परिजनों को लाख रुपये की मदद राशि देने का भी ऐलान हुआ है। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि कुवैत स्थित भारतीय दूतावास स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है और प्रभावितों की सहायता के लिए अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है.

भारतीयों की पसंद क्यों है कुवैत?

इसकी कई सारी वजहे हैं. पहली वजह तो यही है कि कुवैत में काम करना ज्यादा आसान है. यहां ज्यादा स्किल की जरूरत नहीं पड़ती और कमाई भी ज्यादा होती है. यहां पर किसी से भी एक हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता. अगर किसी दिन काम ज्यादा कराया भी जाता है, तो ओवरटाइम देना होता है. ओवरटाइम भी दो घंटे से ज्यादा नहीं हो सकता.

कुवैत की पब्लिक अथॉरिटी फॉर सिविल इन्फोर्मेशन के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2023 तक कुवैत की आबादी 48.59 लाख थी. इसमें भी 33 लाख से ज्यादा आबादी विदेशी नागरिकों की थी. आंकड़ों की मानें तो कुवैत में लगभग 30 लाख मजदूर या कामगार हैं. आंकड़े बताते हैं कि कुवैत में विदेशियों की जितनी आबादी रहती है, उनमें से 75% मजदूरी करते हैं.

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